8TH SEMESTER ! भाग- 105( An Unconscious Break-2)
"थैंक्स ,मैम .."बाल्कनी के बाहर आसमान की तरफ देखते हुए मैने बस इतना कहा
"अरमान..."वहाँ से जाते हुए सोनम बोली"यदि तुमने ज़िंदगी मे कभी कोई ग़लती की होगी तो तुम्हे इसका अहसास ज़रूर होगा.... तुम नहीं चाहोगे की उस गलती की सजा तुम अब भी भुगतो... बाकी निशा के लिए लड़को की कमी नहीं है... जिसका रिश्ता निशा के लिए आया है ना... डेविड. वो निशा को बचपन से जानता है और बहुत अच्छा लड़का है...एक दो बार मिली हूँ मै उससे.... फिर भी निशा तुम्हारे साथ अपनी जिंदगी बिताना चाहती है तो... सोच समझकर फैसला लेना. .आगे तुम्हारी मर्ज़ी..."
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सोनम के जाने के बाद मैं बहुत देर तक आसमान को निहारता रहा...आज बहुत दिन बाद सूरज ने अपने दर्शन दिए थे,बादलो को भेदती सूरज की किरण मेरे अंदर एक नया जोश ,एक नया उत्साह भर रही थी... मैने टेबल पर रखे उस कागज को तुरंत उठाया जिसपर निशा का ईमेल अड्रेस था और तुरंत निशा को मेल कर दिया कि, मैं सोनम से मिल चुका हूँ.....
अब मुझे वो सब बीते पल याद आ रहे थे,जब निशा हर वक़्त मेरे पीछे पागलो की तरह पड़ी रहती थी...मैं समझ चुका था कि उसका वो रुबाब सिर्फ़ एक दिखावा,सिर्फ़ एक छलावा था... ताकि मैं ये ना जान पाऊ कि वो मुझे दिल-ओ-जान से प्यार करती है... शायद उसे डर था कि कही मैं उसकी मज़बूरी का विश्वकर्मा की तरह फ़ायदा ना उठाऊ.. .लेकिन मैं ऐसा नही था..बेशक मुझमे कई बुराई है लेकिन मैं दूसरो के अरमानो की कद्र करना जानता हूँ.... इसीलिए शायद मेरा नाम अरमान पड़ा या फिर यूँ कहे कि मेरा नाम अरमान होने की वजह से मैं इस शब्द की परिभाषा, इस शब्द का मतलब सही से समझ पाया...और मुझे मालूम ही नही बल्कि इसका अहसास भी है कि अधूरे अरमानो का गम क्या होता है....
पहले जहाँ मैं निशा की कॉल को इग्नोर करता था वही अब मैं चाहता था कि वो मुझे एक कॉल करे तो मैं उसकी आवाज़ सुन लूँ... पहले जहाँ मैं किसी ना किसी बहाने निशा के मेसेजस को टाल देता था अब वही मै कंप्यूटर स्क्रीन के सामने पिछले एक घंटे से अपनी ईमेल आइडी खोलकर उसके एक मेसेज का इंतज़ार कर रहा था...मैं देखना चाहता था कि वो अपनी खुशी को शब्दो मे कैसे बयान करती है... मेरे लिए अपने लेफ्ट साइड मे धड़क रहे दिल की धड़कनो को वो किस तरह शब्दो मे उतारती है...और यदि इन शॉर्ट कहे तो
"I think, I really like her or love her...."
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निशा के रिप्लाइ के इंतज़ार मे एक और घंटा बीता, लेकिन मेरा इनबॉक्स अब तक खाली था, मैने टेबल पर एक साइड रखा हुआ वो कागज का टुकड़ा उठाया ,जिस पर निशा की ईमेल आइडी लिखी हुई थी,और उसे पढ़ने लगा....
"nisha_loves_arman@live.com" निशा की ईमेल id पढ़ते हुए मेरे होंठो पर एक मुस्कान छा गयी और मैने एक और ईमेल निशा को टपका दिया.....
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"अबे ओये,4 घंटे हो गये कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठे हुए...बोल तो तुझे ही मेल कर दूं..."एक चेयर खीचकर वरुण मेरे बगल मे बैठा और खाने की प्लेट मेरे सामने रख दी"ले भर ले.."
"मैं तो खाना खाने के बारे मे भूल ही गया था..."खाने की प्लेट को लपक कर मैने पकड़ा और पूछा "अरुण कहाँ है..."
"पता नही,वो बोला कि कुछ ज़रूरी काम आ गया है..."
"सिगरेट-दारू लेने गया होगा साला... उसे यहाँ कौन सा जरूरी काम.."
"अरुण को गाली बकना बंद कर और सामने देख ,शायद उसने रिप्लाइ कर दिया है..."
मैने तुरंत प्लेट नीचे रख कर कंप्यूटर स्क्रीन पर नज़र गढ़ाई..निशा ने रिप्लाइ का रिप्लाई आ चुका था
"जेल मे कैसा लग रहा है,जानेमन...🤣🤣"
"बहुत अच्छा,मैं तो इतनी ज़्यादा खुश हूँ कि बता नही सकती...तुम बताओ "
"अपुन तो बस मज़े मे है...वैसे तुम्हारा नाम क्या है..."
"मेरी ईमेल आइडी मे मेरा नाम है..."
"अरे मैं तो ओरिजिनल नाम पुछ रहा हूँ...डायन"
"फ़ेसबुक पर आइडी है तुम्हारी...?"
"नही..मैं तो अनपढ़ गँवार हूँ,मेरी आइडी फ़ेसबुक मे कैसे होगी..."
"लिंक भेजो..fb आईडी का ..."
"कुछ लफडा है, लॉगिन करते वक़्त कुछ एरर आता है..."
"नो प्राब्लम, अरमान मुझे तुमसे कुछ बात करनी है..."
"हां बोलो..."
"मेरा मोबाइल छीन लिया गया है..."
"तो मेल मे बात कर ...लड़कियो का दिमाग़ हमेशा घुटनो मे क्यूँ रहता है "
"नही..मुझे बात करनी है, Voice to Voice... Face to face..."
"तेरा वो हिट्लर बाप गला दबा देगा मेरा यदि मैं उसे तेरे आस-पास दिख भी गया तो..."
"कोई नही...रात को 12 बजे जब सब सो जाएँगे तब मैं कॉल करूँगी ,मेरे पास एक एक्सट्रा मोबाइल है, keypad वाला... छीपा के रखा हाज मैने... फिलहाल अभी के लिए बाय ..."
"डायन रुक जा किधर कट रेली है"उसके बाय बोलते ही मैने जल्दी से उसे मेसेज भेजकर उसके रिप्लाइ का इंतज़ार करने लगा...लेकिन उसके बाद निशा का कोई मेसेज नही आया...और वो रात को कॉल करेगी इस उम्मीद मे मैने कंप्यूटर शट डाउन किया और बिस्तर पर लेट गया....मैं चाहता था कि जल्द से जल्द रात के 12 बजे और निशा का कॉल आए...अभी रात के 8 ही बजे थे कि मुझसे थोड़ी दूर रखा मेरा मोबाइल बजने लगा और मैं लपक कर मोबाइल के पास जा पहुचा और कॉल रिसीव की...
"हां मुर्गियो के अन्डो का सिर्फ़ एक ट्रक पहुचा है ,दूसरा अभी तक नही आया,भाई देखो माल कहाँ फसा पड़ा है..."
"रॉंग नंबर..."मैने कहा और कॉल डिसकनेक्ट कर दी...लेकिन उसके अगले ही पल एक बार फिर उसी नंबर से कॉल आया....
"अरे यार... देखो माल कहाँ फसा है, यदि दोनो ट्रक नही आए तो मैं तेरी बीवी को आकर पेलुँगा .."
"तेरी माँ का ढोकला, साले,हरामी, छिपकली के गू... यदि दोबारा कॉल किया तो फोन के अंदर घुसकर तेरी खानदान की लड़कियों को प्रेग्नेंट कर दूंगा.... ,साले हरामी ,बकचोद ..."गालियाँ बकते हुए मैने मोबाइल बिस्तर पर पटक दिया...
"बेटा अभी तो चार घंटे बाकी है...मुझे तो डर है कि 12 बजे तक कही तू पागल ना हो जाए..."एक पैर बिस्तर से नीचे हिलाते हुए अरुण बोला
"टाइम पास कैसे करू...?"
"अपुन के पास एक सुझाव है..."बीच मे वरुण बोला...
"ना..नही....नेवेर..."वरुण का इशारा समझ कर मैने कहा..
"हां...अभी...इसी वक़्त..."
"अबे हर टाइम तुझे मैं कहानी सुनाते रहूं क्या...साले मैं भी इंसान हूँ...बोलते-बोलते मेरा भी मुँह थक जाता है"
"यही तो प्यार है पगले..."
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मन थोड़ा भारी था और बेचैन भी...इसलिए एक स्माल टाइट पेग मारकर मैं बिस्तर पर बैठा और मेरे अगल-बगल अरुण-वरुण तकिये पर टेक देकर पसर गये...
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गौतम के टूर्नामेंट मे जाने के बाद एक बहुत बड़ा कांड हुआ...ऐसा कांड जिसने मुझे एक पल के लिए दो तरफ़ा बाँट दिया था,मतलब कि मेरे शरीर के दो हिस्से...मैं कुछ पॅलो के लिए कन्फ्यूज़ हो गया था कि किसका साथ दूं और किसका साथ छोड़ू......
गौतम अब भी टूर्नमेंट के चलते बाहर था और मैं ,अरुण के साथ कैंटीन मे बैठा हुआ था....अरुण अपनी वाली को लाइन दे रहा था और मैं अपनी वाली को...फरक सिर्फ़ इतना सा था कि अरुण वाली अरुण को मस्त रेस्पोन्स दे रही थी और मेरी वाली मुझे देख तक नही रही थी..... वो तो स्ट्रा से पेप्सी पीने मे बिजी थी.